शनिवार, 20 अगस्त 2011

"अन्ना" का मतलब समझे

अन्ना तिहाड़ में हो या तड़ीपार हों। उसूलों और इरादों के पक्के अन्ना से तिहाड़ की कालकोठरी भी डर गई। एक दिन की आंधी ने सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। लेकिन इस बीच जो घटनाक्रम हुआ वो कई सवालों को खड़ा कर गया। अन्ना को सरकार ने अपने सरकारी हथियारों का इस्तेमाल करते हुए भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के अड्डे के बीच पहुंचा दिया। लेकिन, इस अड्डे पर भी अन्ना के कदम पड़ते ही असर दिखना शुरू हो गया। देश में आन्दोलन और तेज हो गया। शुरुआती आन्दोलन में ही इनते जनसैलाब की उम्मीद सरकार ने नहीं की हो गयी। इस जनआंदोलन ने साफ कर दिया कि दो हिस्सों में बंटा भारत किस कदर अर्से बाद एक हुआ है। सरकार को समझने में मुश्किल होने लगी कि अन्ना एक हैं या अनेक। लेकिन, जो इस जनआंदोलन का हिस्सा बने, उनके लिए ये समझना मुश्किल नहीं। हर किसी के माथे पर अन्ना, हर किसी के हाथ में अन्ना, हर किसी के आगे अन्ना, हर किसी के पीछे अन्ना। जो तंग है वो है अन्ना, जो तबाह है वो है अन्ना। हर तबके में अन्ना है, जिन्होंने इमरजेंसी देखी, वो कहते हैं कि अन्ना का ये आन्दोलन कांग्रेस सरकार की तरफ से लगाई गई अघोषित दूसरी इमरजेंसी है। देश भर की जो तस्वीर दिख रही है। वहां हर कहीं अन्ना हैं। दिल्ली से तिहाड़ जेल में सात दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गये अन्ना। लेकिन, जनआंदोलन की आंधी इतनी तेज हुई कि तिहाड़ की कड़क भी हजारे के आगे हार गयी। लेकिन, सरकार की ओछी मानसिकता इससे साफ हो गयी। अन्ना को जेल में उनके बीच रखने का कुचक्र रचा गया जो लाखों नहीं, करोड़ों-अरबों के भ्रष्टाचारी हैं। सोचिए ईमानदारी और बेइमानी कभी साथ-साथ रह सकते हैं। ये ठीक उसी तरह था कि तेल और पानी की दोस्ती सरकार ने करानी चाही। लोगों के बीच ये चर्चा का विषय बन गया कि अन्ना की जगह भ्रष्टाचारियों के बीच है। भ्रष्टाचारियों की परछाई का खौफ दिखाया गया अन्ना को। लेकिन, अन्ना खौफ के खाकर कर पचा चुके हैं। वर्ना ऐसा आन्दोलन होता ही नहीं। अन्ना को जितना पकड़ने की कोशिश की जा रही है। अन्ना उतने फैलते जा रहे हैं। ठीक संकटमोचक हनुमान की तरह अपने देह का विस्तार कर रहे हैं। अन्ना अपने आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए चल पड़े हैं। और साथ में उनके आह्वान पर दो हिस्सों में बंटा समूचा भारत भी। अन्ना को समझने वाले ये भी समझ लें कि देश में एक इंसान क्या नहीं सकता। लोकतंत्र की सच्ची तस्वीर दिखा दी है अन्ना ने। 16 अगस्त से शुरू हुई अन्ना हजारे की अन्ना अगस्त क्रांति को देश की दूसरी आजादी की लड़ाई बताया जा रहा है। इस लड़ाई में एक अन्ना के साथ हजारों हाथ हैं। अन्ना के नाम में ही हजारे लगा है। फिर उनके साथ रहने वाले हजारों नहीं, लाखों-करोड़ों हैं। "अन्ना" समर्थकों के अलावा सभी को अपना मतलब समझा दिया है अन्ना ने। अब तो नासमझ समझ जाएं आर-पार पर उतरे एक अकेला अन्ना का मतलब।

-राजीव रंजन विद्यार्थी, प्रोड्यूसर, सहारा समय

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