रविवार, 13 जून 2010

भोपाल गैसकांड: एंडरसन गया कैसे?:

एंडरसन को सुरक्षित भगाने की घटना अवाक करने वाली नहीं है। तह में जाने पर कई मामले मिल जाएंगे जो दूसरे देश के हैं और दोषी होने के बावजूद बचाने की कोशिश की गई है। 7 दिसंबर 1984 को एंडरसन भोपाल से सुरक्षित निकल गया। डीएम मोती सिंह, पायलट और एवीएशन के तत्कालीन डायरेक्टर के बयान ने भले ही तूफान खड़ा कर दिया हो, लेकिन अर्जुन सिंह चुप हैं। वे ही मुख्यमंत्री थे। शायद अर्जुन की नई पारी है चुप्पी। गांधी परिवार पर एसहान जताने का उन्हें एक बड़ा मौका हाथ लगा है। कांग्रेसी नेताओं के सामने एक ही बात है कि वे क्या करें क्या न करें। दिग्विजय सिंह ने राज्य सरकार को बचाने की कोशिश की तो बसंत साठे ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। सत्यव्रत चतुर्वेदी ने केन्द्र को बचाने की कोशिश की और राज्य सरकार यानि अर्जुन सिंह को बलि देने की तैयारी कर ली है। बूटा भी ऐसा ही कुछ बोल रहे हैं। जनार्दन द्विवेदी कहते हैं दिग्विजय और सत्यव्रत के बयान निजी हैं। पायलट और एविएशन डायरेक्तर यूनियन कार्बाइड से अर्जुन सिंह ने मोटा डोनेशन लिया था। अर्जुन अबतक इतना ही कह पाए हैं कि एंडरसन के बारे में उनको लेकर जो खबरे चल रही हैं वे सच नहीं हैं। अर्जुन जी! फिर सच क्या है? अब सवाल उठता है कि भोपाल से दिल्ली तक भले ही अर्जुन सिंह अपने मुख्यमंत्री पद का इस्तेमाल कर भेज दें लेकिन उसके बाद दिल्ली से अमेरिका के लिए आराम से कैसे रवाना हुआ एंडरसन। सवाल ये भी है कि कल तक केन्द्र में अर्जुन सिंह की तूती बोल रही थी लेकिन, इसबार चुनाव होते होते अर्जुन जी क्यों किनारे कर दिए गये। क्या 25 वीं बरसी पर उनको ही बलि बनाने का पूरा खाका तैयार था?