शनिवार, 19 मई 2012

दुनिया के बचाना है तो भारतीय परंपरा का पालन करें

'day' मनाने के पाखंड से पर्यावरण संरक्षण नहीं होतायुगों से साधना करनी पड़ती है। आज अगर 56 हजार प्रकार की वनस्पति होने का हम भारतवासी गौरव करते हैं तो उसके पीछे ऐसी ही संरक्षण-साधना है। वरना हम भी यूपोपवालों की तरह हजार की वनस्पति से संतोष करना पड़ता।
 द्यौशान्तिरन्तरिक्षँ शान्तिपृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति। वनस्पतये: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्तिसर्वँ शान्तिशान्तिरेव शान्तिसा मा शान्तिरेधि ।

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

har kai pahal kare....kam se kam yk din

vidyarthi

Unknown ने कहा…

pkriti puja jrur kre....ye bachega to hm bchenge