मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

लहसुन भी बहुमूल्य है, सीमा पर तस्करी

नेपाल की सीमा पर लहसून की तस्करी का मामला सामने आया है। वैसे तो यह सीमा पर बहुमूल्य सामानों की तस्करी के लिए चर्चा में रहा है ऐसे में लहसून की तस्करी की बात क्यों उल्लेखनीय हो सकती है? बात केवल लहसून की तस्करी की नही है। इसके पीछे अर्थव्यवस्था की जो चौपट हालत दिखाई दे रही है वह बड़ा ही गंभीर है। तस्करों को लहसून में क्या सूझ गया कि इसका तस्करी करने लगे। जरा लहसून का भाव देखें 300रुपए प्रति किलोग्राम। लहसून है इसलिए पकड़ धकड़ की गुंजाइश भी कम ही है। तस्करों को मुनाफा चाहिए कोई स्टेटस नहीं। पैसा आना चाहिए इसलिए जो बिके वही सही। देश पर महंगाई की मार पड़ रही है। हाहाकार मचा है प्याज लहसून के लिए तो सोना चांदी हीरे जबाहरात और चरस-अफीम की जगह अगर लहसून से ही उतना मुनाफा मिल जाए तो फिर क्या है। इसलिए लहसून की तस्करी कर तस्करों के बल्ले बल्ले हैं।

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