बुधवार, 7 जुलाई 2010

अब कौन करेगा सन थेरेपी

बिहार के बांका जिले के धोरैया-भगवानपुर में सन थेरेपी देखने को मिला था। सैकड़ों नहीं हजारों लोगों का मुफ्त इलाज, वो भी लीवर का, होते हुए इस इलाके के प्राय: सभी लोगों ने देखा। उगते सूरज के साथ कच्चा धागा और तांत लेकर सूजे हुए लीवर और वहां त्वचा के भीतर से साफ साफ दिखाई देने वाले नीले रंग के हो चुके नस और शिराओँ को महज 21 दिनों में ठीक कर, इतना ही नहीं कई बार तो खाट पर पड़े रोगियों को 21 दिनों के भीतर उठा कर दौड़ा देने की कूवत रखने वाले जगदीश मिश्र की कीर्ति को लोगों ने काफी नजदीक से या ऐसे कहें कि सबकुछ सामने साफ साफ देखा। आमतौर पर हरेक रविवार की सुबह देखा। अब वो जगदीश मिश्र संसार में नहीं रहे। 106 वर्ष की आयु में चलते फिरते जगदीश मिश्र ने 06जुलाई10 मंगलवार की सुबह अपना शरीर त्याग दिया। इलाके में उन्हें कोई ज्योतिषी और कोई तांत्रिक के रूप में जानते थे। हालांकि उनकी पढ़ाई कम हुई थी लेकिन शास्त्रों के जानकार के रूप में उनकी पहचान थी। आज भले ही कई रोगों के लिए सन थेरेपी प्रचलित हो रहा हो लेकिन जिसने उन्हें जब से देखा उसने उनके पास इस विद्या को जरूर देखा। यह एक परंपरागत शिक्षण रहा होगा। अब यह प्रक्रिया कहीं भी देखने या सुनने को नहीं मिलती। इससे भी खास बात एक और कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए वे एक संन्यासी थे। जिनलोगों ने उनका जीवन पास से देखा है वो जानते हैं कि कभी एक पैसा उन्होंने जमा नहीं किया। न तो उनका कोई बक्सा है और न ही कोई थैला जिसमें देहावसान के बाद कोई विरासत ढूंढ सके। मुटठी बांध कर आये थे खुले हाथ चल दिए। ये संदेश दूसरों को भी देते थे लेकिन उपदेश से ज्यादा अपने आचरण से। मन से हठी, हृदय से धनी, समाज के लिए योद्धा के रूप में, खेतों में पूरे किसान, स्वभाव से ज्ञानी और आध्यात्मिक-ऐसे थे जगदीश मिश्र।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

ऐसे ही कितनी विधायें लोगों के साथ विदा हो जाती है...नमन उनको.

Unknown ने कहा…

उन्‍हें कोटि कोटि प्रणाम