रविवार, 7 फ़रवरी 2010

राहुल गांधी के दौरे से किसको क्या मिला

शिवसेना से वाकयुद्ध के बीच 1 और 2 फरवरी 2010 को राहुल गांधी के बिहार दौरे के बाद देश की राजनीति में तूफान आ गया और तीन दिनों तक यह तूफान जारी रहा। राहुल गांधी के बिहार दौरे के पहले ही जेडीयू में टूट के समीकरण बन गए। प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह, सांसद प्रभुनाथ सिंह और पार्टी के प्रवक्ता शिवानन्द तिवारी की नाराजगी को हवा मिली। ललन सिंह ने नीतीश पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिय़ा लेकिन बाकी दोनों अभी चुप हैं। पार्टी में उपेन्द्र कुशवाहा की बढ़ती अहमियत ने कई नेताओं की नाराजगी बढ़ा दी है। जब ललन सिंह इस्तीफे की पेशकश कर रहे थे उस समय नीतीश ने कुछ अलग ही राग अलापा। उस समय वे पटना के मोना टॉकिज में थ्री इडियट्स फिल्म देखने गये थे। उसके बाद शुरू हुआ राहुल गांधी का बिहार दौरा। इसकी शुरूआत की चंपारण के भितहरवा गांधी आश्रम से, जहां से महात्मा गांधी ने नीलहे किसानों का आन्दोलन शुरू किया था। राहुल का विरोध यहां भी देखने को मिला लेकिन बात केवल गांधी जी के आश्रम तक जाने के लिए पास नहीं मिलने जैसी बातों तक आकर रुक गयी। इसके बाद वे दरभंगा पहुंचे। दरभंगा में विरोध हुआ। बात दबी दबी सी थी कि आखिर छात्रों ने क्या पूछा। बताया जाता है कि दरभंगा में पटना के छात्र राहुल राज जिसकी हत्या फर्जी एनकाउंटर में की गई थी, सवाल ऐसा ही कुछ पूछा गया था और राहुल ने चुप्पी साध कर बात टालने की कोशिश की। यहीं से हंगामा शुरू हुआ और इसमें 12 से ज्यादा छात्र घायल हो गए। उसके बाद गया में भी माहौल कुछ खास नहीं रहा। जब वे पटना की चल रहे थे तो उस समय पटना में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट काले झंडे के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। दूसरे दिन भागलपुर में भी ऐसा ही हुआ। भागलपुर में भी मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट ने काले झंडे से ही राहुल का स्वागत किया। साथ ही वहां छात्रों के साथ ही हंगामा का ही माहौल रहा। पत्थरबाजी भी हुई। पटना में प्रेस कांफ्रेस के दौरान नीतीश के खिलाफ राहुल ने खूब कसीदे पढ़े। नीतीश का इंटेशन सही बताया लेकिन इम्प्लीमेंडटेशन को गलत बताया। राहुल गांधी के बिहार दौरे के समय एक बयान खूब जोर से उछला वो था मुंबई सबके लिए है। 26/11 मुंबई हमले के मुद्दे पर बयान देकर उन्होंने शिवसेना को मुद्दा दे दिया और 5 फरवरी को मुंबई दौरे के समय शिवसेना ने विरोध प्रदर्शन किया जगह जगह काले झंडे दिखाए। राहुल अपने पूर्व निर्धारित गन्तव्य स्थान तक तो पहुंचे लेकिन आम लोगों की जगह उन्होंने सरकार और पुलिस के जवानों के बीच ही रहना पड़ा। उनके रूट पर 144 धारा लागू थी। दिल्ली और महाराष्ट्र की सरकार ने सारी ताकत लगाकर राहुल के लिए माहौल के पक्ष माहौल बनाने की पूरी कोशिश। इस बीच शाहरूख खान का भी मुद्दा खूब उछला। पाकिस्तानी खिलाड़ियों के स्वागत की बात करते ही शाहरुख पर शिवसेना की आवाज उठ गई। लंदन से तो शाहरुख जरूर दहाड़ते रहे लेकिन मुंबई आते ही उनके तेवर ढीले पड़ गए। उन्होंने कहा कि वे ठाकरे के साथ हैं गलतफहमी की वजह से ही विवाद पैदा हुआ और वे जो कुछ हैं, मुंबई की वजह से हैं। इस पूरे खेल में शिवसेना ने मनसे को मात दे दी। मराठी प्रेम खूब जताया।

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