झारखंड एक खास आईना बन गया
लोकतंत्र का एक गजब का स्वरूप देखने को मिल रहा है झारखंड में कुल 81 विधायकों में से 59 विधायक दागी हैं जिनपर आपराधिक मामले चल रहे हैं। सत्तादल में 31 विधायकों पर अपराधिक मामले चल रहे हैं तो मुख्य विपक्षी कांग्रेस-जेवीएम के 25 विधायकों में से 19 पर मामले चल रहे हैं। अब जरा ये भी देखें कि कौन सा दल कितने पानी में है- झारखंड मुक्ति मोर्चा के 18 में 17 विधायकों पर अपराधिक मामले हैं एक केवल दुर्गा सोरेन की विधवा सीता सोरेन पर कोई केस नहीं है। बीजेपी के 18 में से 8 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं। कांग्रेस के 14 विधायकों में 11 पर आपराधिक मामले हैं और जेवीएम के 11 में से 8 विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। आरजेडी के पांच में चार विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। आजसू से पांच में से चार विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। जेडीयू के दो में से एक विधायक और जेजेएम के एक मात्र विधायक पर मामले चल रहे हैं। इलेक्शन वॉच ने अपनी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। दूसरी तरफ, शिबू के शपथ ग्रहण के साथ साथ ही शशिनाथ झा हत्याकांड की सरगरमी भी सिर चढ़ी रही। दिल्ली में जन्तर मंतर पर शशिनाथ झा के परिजनों ने धरना दे दिया। कुड़को हत्याकांड में शिबू की पेशी की बात भी आ गई, हालांकि वे बाद में पेश होंगे।
नीरज की कविता याद आती है-
बेदाग सूत वाले सौदाग सूत वाले
इस हाट कुछ दुशाले, उस हाट कुछ दुशाले
कुछ कह रहे इसे ले कुछ कह रहे उसे
इसका कफ़न बना ले उससे बदन छुपा ले
मैं क्यों उसे कढ़ाऊं मैं क्यों उसे रंगाऊं
पर्दा उठा चुका हूं चादर बदल बदल कर
अपनी प्रकृति, व्यक्तिगत रंजिश, राजनीतिक वैमनष्य ने लोकतंत्र की धारा में कई अवरोध खड़े कर दिए हैं। ‘जनता का, जनता के द्वारा. और जनता के लिए’ की परिभाषा अब लोकतंत्र के लिए कितनी सार्थक रह गई है यह किसी से छिपी हुई नहीं रह गई है। एक परिभाषा ‘People get the government which they deserve’ अब तो ऐसा भी नहीं रह गया है। बात सीधी सी है कि हम चुनें कैसे? नहीं चुनें तो कैसे? छोड़ा नहीं जा सकता है और जब तीतर पकड़ने की कोशिश करते हैं बटेर कैसे मिल जाता है। सचमुच हाल के दिनों में हुए चुनाव में मतदाता अपने मतों का हिसाब खोजने की कोशिश में जुटता नजर आने लगा है।
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