रविवार, 4 दिसंबर 2011

तुर्कमेनिस्तान में राष्ट्रपति का फरमान-सालगिरह पर पेड़

वृक्ष लगाने का अभियान तो सारे देश में चल रहा है। बिहार के कई गांवों में लड़की के जन्म पर पेड़ लगाने की परंपरा है। भारत में तो पेड़ लगाने देखभाल करने और पूजा करने तक की परंपरा है। ज्ञान की परंपरा से यहां बच्चे बच्चे भी जानते हैं पेड़ पौधे भी सोते जगते हैं उनमें भी जीवन होता है। जिसे जगदीश चन्द्र बसु ने प्रमाणित कर दिया। सबसे मजेदार है जंगल की पूजा पेड़ की पूजा- मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेव च पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते ।। यह श्लोक पीपल वृक्ष के लिए है। धीरे धीरे धरती को बचाने मानवता को बचाने के लिए भारत की ओर लौट रहे हैं सभी लोग। राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुखमेदोव का नया फरमान आया है कि शादी की हर सालगिरह पर किसी बगीचे में पेड़ लगाओ। जोड़ों को सभी स्मारकों का दौरा करना होगा। क्योंकि इससे बच्चों संस्कृति पारिवारिक मूल्यों और लोक परंपराओं को आदर देना सीखेंगे। फरमान के अनुसार 'विवाह महल' में अपनी शादी रजिस्टर कराने वाले जोड़े बगल में पेड़ लगाकर उसकी देखभाल किया करें। इतना ही नहीं शादी शुदा जोड़े अपने जीवन के हरेक प्रमुख अनुष्ठान और आयोजन में कोई न कोई पेड़ लगावें।

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