सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

कांग्रेस आरजेडी के गलबांही का इन्तजार करें

आज फिर राजद अपनी हालत पर आ गया। राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कांग्रेस से नाता तोड़ना सबसे बड़ी भूल है। यह वही हथियार है जिसे कांग्रेस ने राहुल के मुंह से लोक सभा चुनाव में नीतीश के लिए इस्तेमाल किया था और आरजेडी की ओर जाने वाले मुस्लिम वोट का बड़ा हिस्सा अपनी ओर टर्नअप कर लिया था। नीतीश ने उस समय सामान्य प्रतिक्रिया दी थी क्योंकि अगर कुछ प्रतिशत वोट अगर कांग्रेस को जाता है तो उनके लिए आसान ही होगा और कांग्रेस को एक ही संतोष था कि फजीहत तो हो ही चुकी है कुछ तो आ जाए। अब यही खेल रघुवंश प्र. सिंह ने किया है। वैसे जरा आरजेडी और कांग्रेस का इतिहास देखें-1997 में लालू की सरकार अल्पमत में आई उस समय कांग्रेस ने ही लालू की मदद की थी। कांग्रेस ने ही लालू की सरकार बचाई थी। उसके बाद 2000 में चुनाव हुए। आरजेडी और कांग्रेस ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर अलग अलग चुनाव प्रचार किया। सप्ताह भर के लिए नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे लेकिन कांग्रेस ने समर्थन नहीं किया था। इसके बाद त्रिशंकु सरकार बनने की हालत हुई तो कोएलिशन सरकार बनी आरजेडी और कांग्रेस की मिलजुल कर। कांग्रेस ने जोरदार मलाई काटी। कांग्रेस के कुल 23 विधायक थे। जिसमें एक विधायक सदानन्द सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष पद लिया। बाकी बचे सभी 22 विधायक मंत्री बने थे। इसके बाद फिर 2005 के चुनाव के बाद नीतीश की सरकार बनी लेकिन गिर गई। कांग्रेस ने फिर से नौटंकी की जिसके चलते राष्ट्रपति शासन लगा और बूटा सिंह जिनकी लबली सिंह कथा प्रसिद्ध है, का शासन आया। अब इसके बाद लोकसभा चुनाव में चार सांसदों के साथ लालू जीते वो कोई पूर्व प्रधानमंत्री नहीं लेकिन उन्हें सदन में अगला बेंच दिया गया है। नीतीश कुमार कांग्रेस आरजेडी सांठ गाठ की बात शुरू से उछाल रहे हैं। इसबार फिर चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी अलग अलग प्रचार कर रहे हैं लेकिन रघुवंश सिंह के बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।

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