शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

पुण्य प्रसून ने कई बातें रख दीं

पुण्य प्रसून वाजपेयी गए ही क्यों थे वहां। हम लोगों से या किसी पटना वाले से ही पूछ लिया होता...फिर भी जो लिखा वो....बहुत खूब...। सदाकत आश्रम में 1962 में कांग्रेस का राष्टीय अधिवेशन पहली बार और अंतिम बार हुआ था। नीलम संजीव रेड्डी अध्यक्ष थे और नेहरू जी ने भाषण में चंपारण को माध्यम बनाकर गांधी जी को याद किया था। लेकिन देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर चुप्पी साध रखी थी, जिन्होंने सदाकत आश्रम को आबाद किया था। इस अधिवेश के अलगे साल ही राजेन्द्र बाबू का निधन हो गया और सदाकत आश्रम में सूनापन छा गया। 2 अक्टूबर 1966 में कंक्रीट सदाकत का उद्घाटन हुआ और आश्रम दफ्तर में बदल गया। चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों को 75 लाख रुपये मिलने वाला है इसलिए उम्मीदवार भी कुछ मिल जा रहे हैं। 1921 से 2010 तक 37 अध्यक्षों के नाम लिखे हैं। 1989 से 2010 तक 21 वर्षों में 13 अध्यक्ष बने। 1921 में मजरूल हक और 90 साल बाद 2010 में महबूब अली कैसर। प्रदेश अध्यक्ष की हिम्मत नहीं कि सदाकत आश्रम में आकर बैठ जांय। किसी कांग्रेसी वरिष्ठ में हिम्मत नहीं कि जूते चप्पलों और गाली गलौज में ठहर सकें। टिकटों की मारामारी पर कांग्रेसी नेता खुशफहमी पाल रखे हैं। मनीष तिवारी ने बयान दिया था लोकप्रियता बढ़ी है। लेकिन सच क्या है वे भी समझते हैं। जनसत्ता में प्रकाशित इनका आलेख मुझे मार्मिक लगा है।

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