रविवार, 8 अगस्त 2010

प्रेमी युगल की जिन्दगी और लोकतांत्रिक व्यवस्था

इसबार कोई सेक्यूलर नेता बोल नहीं रहा। इसबार इंडिया गेट पर कोई मोमबत्ती जुलूस नहीं निकला। प्रेमी जोड़े भागते फिर रहे हैं। आगरा के जुनैरा कमाल ने अरूण सिंह से शादी रचा ली है। आगरा कैंट के बीएसपी विधायक जुल्फीकार भुट्टो पर धमकाने का आरोप लगा है। विधायक के आदमी उन्हें खोजते हुए मुंबई तक पहुंच गए थे लेकिन मुंबई पुलिस ने दोनों के सर्टिफिकेट देख कर विधायक के लोगों को ही फटकार लगा दी। इधर, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन दोनों के पक्ष में फैसला दिया है और आगरा के एसपी को इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है। भारतीय संविधान के तहत ये लोग पति पत्नी हैं और इन्होंने कोई गलती नहीं की है फिर भी इनके पीछे लोग क्यों पड़े हैं। केवल इसलिए कि लड़की मुस्लिम है और लड़का हिन्दू। सवाल उठता है इनकी ओर से आवाज क्यों नहीं उठ रही। जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी क्या है और मुख्यमंत्री मायावती अपने विधायक पर नकेल नहीं कस पा रही हैं। जुनैरा और अरुण भागते फिर रहे हैं। आगरे का ताजमहल को तो लोग प्यार के नाम से ही जानते हैं लेकिन इसी आगरे के प्रेम दूसरे शहरों में दर दर की ठोकरें खा रहा है। कभी जयपुर तो कभी मुंबई तो कभी लखनऊ और उनके पीछे लगे हैं कुछ गुर्गे। तसलीमा का केस हो या कोलकाता के तोदी परिवार का, आवाज तो खूब उठी थी और सरकारें भी आगे बढ़ कर काम करती दिखीं। निरुपमा के केस में भी खूब मोमबत्ती मार्च हुआ लेकिन जुनैरा और अरूण के मामले में चुप्पी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। इस मामले में आगरा पुलिस की भूमिका भी गजब की है। क्या पुलिस को भी भारतीय संविधान का पता नहीं? ऐसी पुलिस पर कैसे आम जनता भरोसा करे?

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