शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

swine flu बचना है तो आ अब लौट चलें..

swine flu स्वाइन फ्लू
बचना है तो आ अब लौट चलें..
स्वाइन फ्लू दहशत बनकर देश पर टूटा है....दुनियां के बड़ छोटे ताकतवर कमजोर सभी तरह के देश इस बीमारी से परेशान हैं....भारत में विदेश से आने वाले हर मरीज पर खुफिया और सुरक्षा बलों से ज्यादा स्वास्थ्य विभाग की नजर रहने लगी है......जब ये बीमारी पहली बार भारत में देखा सुना गया तब चिकित्सकों ने इसके बचाव के जो उपाय बताए उसमें खून जांच कर तुरंत इलाज कराने का बातें ही ज्यादा थीं.....लेकिन बाद में धीरे धीरे स्वरों में बदलाव हो गया.....आयुर्वेद ने इसके आसान इलाज के दावे किए...योग गुरू ने ऐसे गुर बताए कि कम से कम दहशत तो वैसा नहीं रहा जैसा शुरूआती दौर में था......लेकिन असली बात....क्या कर रहे हैं एलोपैथ यानि अंग्रेजी दवा देने या लिख देने वाले चिकित्सक....हग और शेकहैंड से बचिए....पहला परहेज या पहली सावधानी....केवल पीड़ित ग्रसित और प्रभावित लोगों से ही नहीं बल्कि आपस में भी इन दिनों इन दोनों चीजों से जरूर परहेज करें....क्या पता किसके साथ में देह में मुंह में ये चीजें विद्यमान और वर्तमान हों....छू जाए लग जाए तो बस हो गया बंटाधार.....अरे भाई हम तो सदियों से चिल्ला रहे हैं कि किसी से मिलते समय प्रणाम करो नमस्ते करो बहुत हुआ तो पैर छू कर आदर श्रद्धा जता लो....इंफेक्शन से बचे रहोगे कोई संक्रमण नहीं होगा....इंप्रेशन बनेगा सो अलग....लेकिन अंग्रेज चले गए अंग्रेजियत में त्वरण लगा गए....चिकित्सक बार बार कह रहें हैं....हाथ मिलाने से इंफेक्शन होगा......और तो और दुनियां के बड़े और उन्नत कहलाने वाले देशों मं स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स बनाने पर रात दिन एक कर शोध किए जा रहे हैं.....लेकिन आपके घर में ऐसा नहीं है....हां स्वास्थ्य मंत्री भी खूब बयान देते फिर रहे हैं कि शोध चल रहा है जो पहले बनाएगा उसी से खरीद लेंगे...मंत्री गुणवत्ता भी ध्यान में रखिएगा...जमाना बड़ा खराब है....जो भी हो....आयुर्वेद के चिकित्सकों ने दवा के दावे ठोक दिए....भले कोई मंत्री ध्यान दे ना दे....अरे ऐसे ऐसे उपाय बता दिए हैं कि एक पैसा खर्च ना करना पड़े और स्वाइन फ्लू भी न हो....ये चीजें मेट्रो में सहज सुलभ है...तुलसी पत्ता, बेलपत्र, काली मिर्च, गिलाई जैसी चीजें....रेल में, बस में घर का वैद्य और नानी में के नुस्खे की तरह स्वाइन फ्यू को दूर रखने के कितने ही तरीके आ गए....फिर भी असली बात हाथ मिलाने से बचें चुंबन करने से बचें...कहीं से आते हैं हाथ पैर जरूर धोएं.....और अच्छे से धोएं....इसमें से कौन सी ऐसी बात है जो हम आपको दादा दादी माता पिता रिश्तेदार और आस पास के बड़े बूढ़ों ने नहीं बताया......इसलिए भी अब तो मानिए कि भारत की संस्कृति ही हम आपको और दुनियां को बचा सकता है....इससे पहले एड्स के मामले में भी संयम आदि की बातें ही ज्यादा कारगर बताई गईँ है.....

3 टिप्‍पणियां:

shama ने कहा…

Har koyi bahtee ganga me haath dhona chahta hai!

Aazadee kee saalgirah pe anek shubhkamnayen! Ham rahe na rahen,ye amar rahe!

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://lalitlekh.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://aahtakyahantak-thelightbyalonelypath.com

vallabh ने कहा…

काश.... 'स्वाइन फ्लू' की जितनी चर्चा और चिंता है उसका १० प्रतिशत भी मलेरिया , मस्तिष्क ज्वर, चेचक और कुपोषण की हुई होती तो आज लाखों लोग अकाल न मर रहे होते.....

Amit K Sagar ने कहा…

प्रिय मित्र,
जश्ने-आजादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज़ादी मुबारक हो.
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उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये.
आभार.
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उल्टा तीर
http://ultateer.blogspot.com
अमित के सागर