मंगलवार, 21 सितंबर 2010

जुगाड़ टेक्नोलॉजी बिहार में

जुगाड़ टेक्नॉजी का एक उदाहरण- बिहार में फास्ट सुपर फास्ट महा फास्ट एकदम फास्ट.....किसी भी ट्रेन को रोकने के लिए दैया तौबा मचाने की जरूरत नहीं है....यहां बस एक सिक्के की आवश्कता है। केवल एक रुपये के सिक्के की। मोकामा-किउल-जसीडीह रेलखंड़ पर खूब इस्तेमाल कर रहे हैं इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी का। ट्रैक एक इंच गैप पर सिक्का रख कर सर्किट पूरा कर दिया बस सिग्नल लाल हो गया। हालांकि इसका गलत उपयोग किया जा रहा है और रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर खलल ही कहा जाएगा। लेकिन एक बात तो है। उपयोग जो भी हो प्रतिभा को तो मानना ही पड़ेगा। यही काम कोई सूटबूट वाला चिकना कर देता, कर तो नहीं ही देता चुराकर दिखा देता, तो वाह वाह, धोती कुर्ता वाले गरीब लोगों ने कर दिया तो बाप बाप। मल्टिपल एक्सपर्ट सिग्नल रेलवे ट्रैक के माध्यम से यह काम करता है। ट्रेन आने के लिए मिलने वाला ग्रीन सिग्नल ट्रेन के जाने के बाद लाल हो जाता है। सिग्नल खंभे के पास ही रेलवे ट्रैक में लगे सिग्नल सर्किट के ऊपर ट्रेन का पहिया फ्यूज का काम करता है। यही पर लोग सिक्का भी लगा देते हैं। बात आसान है लेकिन खोज निकालना। फिर भी इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी का यह उपयोग गलत है।
कुछ बातें याद दिलाता हूं। गया में एक व्यक्ति पीपल के पत्ते से मोबाइल चार्ज कर लिया करता था। मुजफ्फरपुर के पास एक छात्र में घऱ में ही कुछ टूटे फूटे और बचे खुचे सामानों से रेडियो के चैनल को खोज निकाला। लेकिन जब चाहो जहां चाहो जिस भी रेलगाड़ी को रोक दो ये बात कोई न्यूट्रल होकर सुन भी ले.....मैं तो हैरत में हूं कि गांव के लोगों ने एक ऐसा कुछ खोज निकाला है। भई अपने जुगाड़ टेक्नोलॉजी के चलते तो बड़े बड़े देश के महान कर्मठ जी लोग परेशान हैं।